प्रौढमनोरमा : अव्ययीभावान्ता : महामहोपाध्यायश्रीहरिदीक्षितविरचितलघुशब्दरत्नाख्यव्याख्यया समेता : महामहोपाध्यायभैरवमिश्रविरचित-शब्दरत्नप्रकाशिकाख्यव्याख्यया, लवपुरीयप्राच्यसंस्कृतमहाविद्यालय-प्रधानाध्यापक-महामहोपाध्यायभाण्डारीत्युपाह्वमाधवशास्त्रिकृत [i.e. महामहोपाध्यायभाण्डारीत्युपाव्हमाधवशास्त्रिकृत]-प्रभानामकटिप्पण्या, व्याकरणाचार्याद्यनेकपदवीविभूषितपाण्डेयइत्युपाह्व-श्रीजगन्नाथशास्त्रिकृतयाऽव्ययीभावमात्रया शब्दरत्नप्रदीपकनाम्न्या टिप्पण्या, च समुल्लासिता

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"प्रौढमनोरमा : अव्ययीभावान्ता : महामहोपाध्यायश्रीहरिदीक्षितविरचितलघुशब्दरत्नाख्यव्याख्यया समेता : महामहोपाध्यायभैरवमिश्रविरचित-शब्दरत्नप्रकाशिकाख्यव्याख्यया, लवपुरीयप्राच्यसंस्कृतमहाविद्यालय-प्रधानाध्यापक-महामहोपाध्यायभाण्डारीत्युपाह्वमाधवशास्त्रिकृत [i.e. महामहोपाध्यायभाण्डारीत्युपाव्हमाधवशास्त्रिकृत]-प्रभानामकटिप्पण्या, व्याकरणाचार्याद्यनेकपदवीविभूषितपाण्डेयइत्युपाह्व-श्रीजगन्नाथशास्त्रिकृतयाऽव्ययीभावमात्रया शब्दरत्नप्रदीपकनाम्न्या टिप्पण्या, च समुल्लासिता"
Statement of Responsibility
भट्टोजीदीक्षितविरचिता ; सदाशिवशास्त्रिणा विभानकटिप्पण्यादिना परिष्कृत्य संशोधिता
Publisher
  • चौखम्बा संस्कृत सीरिज़ आफिस
Publication Year
  • 1935-1939
Book size
24 cm
Other Title
  • प्रौढ मनोरमा : अव्ययीभाव अन्ता : महा महोपाध्याय श्री हरि दीक्षित विरचित लघु शब्द रत्न आख्य व्याख्यया समेता : महा महोपाध्याय भैरव मिश्र विरचित शब्द रत्न प्रकाशिका आख्य व्याख्यया, लवपुरीय प्राच्य संस्कृत महा विद्यालय प्रधान अध्यापक महा महोपाध्याय भाण्डारी इति उपाह्व माधव शास्त्रि कृत प्रभा नामक टिप्पण्या, व्याकरण आचार्य आदि अनेक पदवी विभूषित पाण्डेय इति उपाह्व श्री जगन्नाथ शास्त्रि कृतया अव्ययीभाव मात्रया शब्द रत्न प्रदीपक नाम्न्या टिप्पण्या, च समुल्लासिता
  • The Prauḍhamanoramā by M.M. Bhaṭṭoji Dīkshita : avyayībhāvānta : a commentary upon his Siddhāntakaumudī : with its gloss called Laghuśabdaratna by Sri Hari Dīkshita, and Śabdaratna Bhairavi commentary by M.M. Pandit Śri Bhairava Miśra, Prabha-notes by M.M. Śri Mādhava Sāstrī Bhandārī, Śabdaratna pradīpaka notes on avyayībhāvānta portion by Pandit Jagannātha Śāstrī Pande
  • प्रौढ मनोरमा : अव्ययीभाव अन्ता : महा महोपाध्याय श्री हरि दीक्षित विरचित लघु शब्द रत्न आख्य व्याख्यया समेता : महा महोपाध्याय भैरव मिश्र विरचित शब्द रत्न प्रकाशिका आख्य व्याख्यया, लवपुरीय प्राच्य संस्कृत महा विद्यालय प्रधान अध्यापक महा महोपाध्याय भाण्डारी इति उपाह्व माधव शास्त्रि कृत प्रभा नामक टिप्पण्या, व्याकरण आचार्य आदि अनेक पदवी विभूषित पाण्डेय इति उपाह्व श्री जगन्नाथ शास्त्रि कृतया अव्ययीभाव मात्रया शब्द रत्न प्रदीपक नाम्न्या टिप्पण्या, च समुल्लासिता
  • The Prauḍhamanoramā of M.M. Bhaṭṭoji Diḳśita : a commentary upon his Siddhānta Kaumudi : with its gloss called Laghuśabdaratna by M.M. Śrī Haridīkśita : with three commentaries, the Bhairavi, Bhāvaprakāśa & Saralā by M.M. Pandit Śri Bhairava Miśra, Vaidyanātha Payagunde and Gopāl Śastri Nene
  • प्रौढमनोरमा : महामहोपाध्याय-भट्टोजीदीक्षितपौत्रश्रीहरिदीक्षितकृतो लघुशब्दरत्नश्च, महामहोपाध्यायभैरवमिश्रविरचितरत्नप्रकाशिका, पायगुण्डोपाह्ववैद्यनाथपण्डितकृतभावप्रकाश, व्याकरणाचार्य पं॰ गोपालशास्त्रीनेनेकृत सरला, टीकात्रयविभूषितः
  • प्रौढ मनोरमा : महा महोपाध्याय भट्टोजी दीक्षित पौत्र श्री हरि दीक्षित कृतः लघु शब्द रत्नः च, महा महोपाध्याय भैरव मिश्र विरचित रत्न प्रकाशिका, पायगुण्ड उपाह्व वैद्यनाथ पण्डित कृत भाव प्रकाश, व्याकरण आचार्य पं॰ गोपाल शास्त्री नेने कृत सरला, टीका त्रय विभूषितः
  • प्रौढमनोरमा : शब्दरत्न-भैरवी-प्रभा-विभाऽलङ्कृता : अव्ययीभावान्ता
  • प्रौढ मनोरमा : शब्द रत्न भैरवी प्रभा विभा अलङ्कृता : अव्ययीभाव अन्ता
  • प्रौढमनोरमा : शब्दरत्न-भैरवी-भावप्रकाश-सरला, चतुष्टयोप्र्ता
  • प्रौढ मनोरमा : शब्द रत्न भैरवी भाव प्रकाश सरला, चतुष्टय उप्र्ता
  • व्याकरण विभागे
  • Vyākaraṇavibhāga
  • Vyākaraṇa section no. 9

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Notes

Text and commentaries in Sanskrit

Added t.p. in English

"Edited with Vibha--notes and introduction, by Pandit Sāda [i.e. Sadā] Śiva Śarma Śāstrī"--Added t.p

"Edited by Gopal Śāstri Nene"--Added t.p of 2. भागः

Some copies lack of volume number: 2. भागः

PUB: Benares : Chowkhamba Sanskrit Series Office

"चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस सिटी"--T.p. of 2. भागः

"चौखम्बा-संस्कृत-सीरिज, बनारस"--Cover of 2. भागः

Summery: Commentary, with supercommentary, on Siddhāntakaumudī, commentary on Pāṇini's Aṣṭādhyāyī, Sanskrit classical grammar

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